पश्चिम चंपारण तथा दरभंगा समेत अन्य जिलों में बाढ़ की स्थिति में कोई सुधार नहीं

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पटना/बिहार : उत्तर बिहार में हुई बारिश के कारण गंडक, बूढ़ी गंडक और बागमती समेत सात प्रमुख नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। हालांकि नदियों के जलस्तर में स्थिरता की प्रवृत्ति बनी हुई है। गंडक नदी डुमरिया घाट पर तथा बूढ़ी गंडक समस्तीपुर, रोसड़ा और खगड़िया में लाल निशान से ऊपर है। वहीं, बागमती का जलस्तर बेनीबाद और हाया घाट में जबकि अधवारा समूह की नदियों का जलस्तर कमतौल और एकमी घाट में लाल निशान से ऊपर है। इसी तरह कमला बलान नदी का जलस्तर जयनगर और झंझारपुर में, कोसी का बलतारा में और परमान का अररिया में खतरे के निशान से ऊपर है।

इधर, नदियों के जलस्तर में वृद्धि के कारण बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति में कोई सुधार नहीं है। कई नये इलाकों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर रहा है। नेपाल में हुई तेज बारिश के कारण सुपौल के भीमनगर स्थित कोसी बराज के छप्पन में से इकतीस फाटकों को खोल दिया गया है। नदी का जलस्तर दो लाख पैंतीस हजार नौ सौ पचहत्तर क्यूसेक बढ़ते क्रम में दर्ज किया गया है। बराज का फाटक खोले जाने के कारण सुपौल जिले के वसंतपुर, सरायगढ़, निर्मली और सुपौल सदर प्रखंड में बाढ़ की आशंका बढ़ गयी है।

इधर, पश्चिम चंपारण जिले के बगहा के वार्ड संख्या छब्बीस में गंडक नदी के कटाव स्थल पर बाढ़ निरोधात्मक कार्य जारी है। कार्यपालक अभियंता विष्णु प्रकाश परवाना ने बताया कि कटाव को नियंत्रित कर लिया गया है। शिवहर में बागमती नदी में उफान से जिले के पिपराही प्रखंड के बेलवा के पास बने सुरक्षा बांध पर दबाव बढ़ गया है।

इधर, दरभंगा से हमारे संवाददाता ने बताया कि जिले में कमला, जीवछ और करेह नदियों के जलस्तर में बढ़ोतरी से नये इलाके बाढ़ की चपेट में आ गये हैं। इस बीच, जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने आज दरभंगा जिले के बाढ़ प्रभावित केवटी तथा मधुबनी जिले के बेनीपट्टी और बिस्फी प्रखंड में सुरक्षात्मक कार्यों की समीक्षा की। साथ ही उन्होंने बाढ़ प्रभावितों का हालचाल भी जाना। जल संसाधन मंत्री ने अधिकारियों को बाढ़ निरोधात्मक कार्यों में तेजी लाने के साथ ही राहत और बचाव कार्य भी तेज करने के निर्देश दिये।

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