• गृह भ्रमणा के दौरान केयर इंडिया के टीम ने किया पहचान
• एबुलेंस के माध्यम से तुरंत पहुंचाया गया अस्पताल
• अब जच्चा-बच्चा दोनों हैं सुरक्षित
गोपालगंज। जिले में मातृ शिशु मृत्युदर को कम करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के द्वारा कमजोर नवजात शिशु देखभाल कार्यक्रम चलाया जा रहा है। जिसमें आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर कमजोर नवजात शिशुओं की पहचान करती है। इसमें केयर इंडिया के सामुदायिक स्वास्थ्य समन्वयक के द्वारा भी सहयोग किया जाता है। जिले के पंचदेवरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 7 जनवरी को नेहरूआ खुर्द निवासी सीमा देवी ने अपने शिशु को जन्म दिया। जिसके बाद अस्पताल से उन्हें डिस्चार्ज कर घर भेज दिया गया। अगले दिन केयर इंडिया के सामुदायिक स्वास्थ्य समन्वयक अमरेंद्र कुमार यादव ने गृह भ्रमण के दौरान यह देखा कि उक्त महिला को अत्याधिक रक्तस्त्राव हो रहा है। जिसके बाद केयर इंडिया के सीएचसी ने चिकित्सा पदाधिकारी उपेंद्र प्रसाद को इसकी सूचना दी। जिसके बाद इस मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी तुरंत एंबुलेंस भेजकर महिला को अस्पताल में लाया। जहां पर उसका बेहतर उपचार किया गया। महिला सीमा देवी को काफी रक्तस्त्राव होना, हाई ब्लडप्रेशर की समस्या थी। इसके साथ ही उसका हिमोग्लोबीन की मात्रा भी कम थी। पंचदेवरी पीएचसी में कार्यरत जीएनएम ने अपनी कार्यकुशलता के बदौलत उक्त महिला का जीवन बचाने में कामयबात रही। जीएनएम शालनी कुमारी ने बताया कि अगर ज्यादा देर होती या इसे रेफर कर दिया जाता तो इस बचाना मुश्किल हो जाता है। इसके जीवन बचान में केयर इंडिया के सीएचसी अमरेंद्र कुमार यादव ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निवर्हन किया है।
मेरे लिए जीवन का रक्षक बने अमरेंद्र:
पंचदेवरी में पीएचसी में उपचार के बाद प्रसव पीड़ित महिला सीमा देवी ने कहा कि केयर इंडिया के सीएचसी अमरेंद्र कुमार यादव मेरे जीवन रक्षक बनकर आये और उन्हें समय रहते अस्पताल में भर्ती कराकर बेहतर उपचार की सुविधा मुहैया करायी। उन्होंने बताया अगर वह समय पर नहीं आते तो शायद वह आज जिन्दा नहीं रह पाती है। ऐसे ही चिकित्सा कर्मियों को धरती का भगवान नहीं कहा जाता है। सीमा देवी ने जीएनएम शालीनी कुमारी व प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को भी धन्यवाद दिया।
अब जच्चा-बच्चा दोनों को मिला जीवनदान:
केयर इंडिया के डीटीएल मुकेश कुमार सिंह ने कहा कि जच्चा बच्चा के सुरक्षा एव स्वास्थ्य के देखभाल के लिए विभाग सजह है। मातृ शिशु मृत्यु दर को कम करने के दिशा में कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम चलाये जा रहे है। कमजोर नवजात शिशु देखभाल कार्यक्रम का देन है कि आज जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित है, या यूं कहे कि दोनों को जीवनदान मिला है। इसमें सभी स्वास्थ्य कर्मियों ने महत्वपूर्ण भूमिका का निवर्हन किया है।
संस्थागत प्रसव है सुरक्षित:
एंबुलेंस की दी नि:शुल्क सुविधा:
पंचदेवरी प्रखंड के नेहरूआ खुर्द गांव निवासी सीमा देवी को अस्पताल लाने व घर ले जाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से नि:शुल्क एंबुलेंस की सुविधा मुहैया करायी गयी।
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. उपेंद्र प्रसाद ने कहा कि घरों पर प्रसव के दौरान आपातकालीन सुविधाएं नहीं होने से मां और नवजात की जान को खतरा होता है। लोगों को जानकारी होनी चाहिए कि अस्पताल में हर स्थिति से निपटने की व्यवस्था होती है। इसलिए घरेलू प्रसव को दरकिनार कर संस्थागत प्रसव को हीं बढ़ावा देना आवश्यक है। संस्थागत प्रसव के बाद जननी सुरक्षा योजना के तहत सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराने के लिए प्रसूता को आर्थिक मदद मिलती है।