गोपालगंज : जिले में गुरुवार को भीसड़ आंधी – तूफान आने से गोपालगंज जिले के कुचायकोट प्रखण्ड के रामपुर में स्थित एक गैर सरकारी संस्थान द्वारा संचालित विद्यालय पर पहाड़ टूट गया, जब विद्यालय के एक तरफ का दीवार आंधी के वजह से टूट गया और वही सारे करकट उड़ – उड़ के दूर जा गिरे । जैसे ही विद्यालय के प्रधानाध्यापक शशिकांत पांडे को पता चला वो दौड़े दौड़े आंधी पानी के बीच करकट इकठ्ठा करने लगे ।
बताया जाता है कि यह विद्यालय- आदर्श मध्य विद्यालय, रामपुर वर्ष 1980 से संचालित होते आया है, इसकी शुरुवात कृपा शंकर श्रीवास्तव ने उस समय की थी जब क्षेत्र में शिक्षा नहीं था । तकरीबन चार – पाँच पीड़ियों को पढ़ाने वाले स्कूल तब शुरू हुआ जिस समय इस क्षेत्र में पढ़ाई-लिखाई से ज्यादा घर का काम और खेती बार महत्वपूर्ण था । शुरुवाती दौर में आनज पर पढ़ाई कराने वाला विद्यालय, रोड पर बच्चों के बैठाया ताकि शिक्षा घर घर तक पहुचे इसी उद्देश्य से शुरू भी किया गया । फिर बाद में खर -पतवार से विद्यालय बना । धीरे-धीरे बच्चों और स्थानीय लोगों के सहयोग से स्कूल को बाउन्ड्री किया गया और फिर बाद के वर्षों में करकट डाल कर शिक्षा देना जारी रखा ।
वर्ष 2006-10 जब हर तरफ प्राइवेट स्कूल बनने लगे सभी स्कूलों में जब शिक्षा एक व्यवसाय बन गया था तब आदर्श मध्य विद्यालय रामपुर 10 रुपये मासिक फीस लिया गया करता था । बाद में 30 रुपये और फिर 50 रूपये । यह मासिक फीस किसी कक्षा के अनुसार नहीं होता है बल्कि सभी बच्चों से एक बराबर लिया जाता है ताकि पढ़ा रहे शिक्षक अच्छे हो ।
शशिकांत पांडे जी से बात करते हुए पता चला कि वह इस विद्यालय से वर्ष 2010 के आसपास जुड़े, कृपा शंकर जी आगे बढ़ना चाहते थे स्कूल के संगठन को आगे ले जाना चाहते थे ताकि विद्यालय कभी बंद ना हो, शिक्षा कभी बंद ना हो । शशि जी बताते है कि विद्यालय का फीस अभी 100 रुपये है, पढ़ाई बहुत अच्छी है । यह फीस उन्ही से ली जाती है जो देने लायक हो क्योंकि शिक्षा कभी व्यवसाय इस संस्थान के लिए नहीं रहा । आज जहां आसपास के अंग्रेजी माध्यम के नर्सरी में जितना फीस लिया जाता यहाँ पाँचवे क्लास में नहीं लिया जाता ।
किसी जमाने में 03-04 किलोमीटर तक लाइन से खड़े होने वाले छात्र अब गिनती के 40-50 रह गए है । पांडे जी का कहना है कि गाँव के लोगों में बच्चे के शिक्षा से ज्यादा अपने प्रतिस्पर्धा में है, उन्हे लगता है अगर फलाने का लड़का अंग्रेजी माध्यम में पढ़ा रहा तो मेरा भी लड़का पढ़ना चाहिए । साथ ही आने जाने के लिए बस हो, अच्छा स्कूल यूनिफॉर्म हो ये सब लोग चाहते है । पढ़ाई क्या होती, कैसे होती उन्हे जानकारी नहीं, ना ही उन्हे फरक पढ़ता है । कुछ लोग ये सोच लेते है कि 100 रूपये लेता है ये विद्यालय पढ़ाई खराब होती होगी लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है ।
शिक्षकों के वेतन पर पांडे जी कहते है कि अभी मौजूद जितने बच्चे है उनसे ज्यादा फीस संस्थान शिक्षकों को देता है, अगर संस्थान चाहता तो इसे विद्यालय को बंद कर सकता था क्योंकि इसमे संस्थान को अपने अन्य फंड का उपयोग करना पड़ता है । संस्थान का एक ही मकसद है कि शिक्षा देने का – बहुत कम राशि पर उन्हे जो फीस देने लायक है और बिल्कुल मुफ़्त उन्हे जो बिल्कुल भी देने लायक नहीं है । बच्चे अच्छा पढे, उन्हे शिक्षित किया जा सके । वो लिख सके, पढ़ सके, गणित कर सके यही हमारा उद्देश्य है ।
आंधी – तूफान से हुआ नुकसान पर पांडे जी बताते है संस्थान अपने अन्य माध्यम से जुटाए फंड को इसमे लगाएगी और आमजनों से भी उम्मीद करेगी कि वो सहयोग करे । बच्चों की पढ़ाई नहीं बाधित होगी, हम खाली जगह पर पढ़ाएंगे । हम बहुत दिन से करकट के जगह छत करने के कोशिश में है लेकिन फंड ना होने के वजह से नहीं कर पा रहे, जैसे ही फंड होगा संस्थान का मुख्य उद्देश्य यही होगा कि विद्यालय मरम्मत दुरुस्त की जाएगी ।
सहायता के लिए – 9471004551 या 9939395151 पर कॉल कर अपना योगदान दे सकते है ।