केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को जानकारी दी कि जिस तरह से देश में कोविड-19 संक्रमण फैल रहा है, उससे साफ है कि इस वायरस की तीसरी लहर तय है। यह लहर कब आएगी और कब तक चलेगी, इसका अभी अंदाजा नहीं लगाया जा सकता।
वर्तमान में, COVID के कई वेरिएंट भारत में सक्रिय हैं और ये वेरिएंट विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में संक्रमण फैला रहे हैं। इनमें से सबसे खतरनाक है डबल म्यूटेंट वायरस, जिसे वैज्ञानिकों ने बी 1.617 नाम दिया है और यह वैरिएंट भारत में ही बना है। अब तक कोविड, ब्राजील वैरिएंट, साउथ अफ्रीका वैरिएंट और अमेरिका के यूके वैरिएंट को भी देश में वैरिएंट मिल चुका है । अलग-अलग राज्यों में इस वायरस के कई और वेरिएंट की पहचान की गई है। इसमें जिस वैरिएंट की सबसे ज्यादा चर्चा होती है, वह आंध्र प्रदेश वैरिएंट है। हालांकि, यह वेरियंट अभी भी कुछ क्षेत्रों में सीमित है।
डॉक्टरों द्वारा किए गए अध्ययन में कहा गया है कि ये वेरिएंट फिलहाल वायरस के नए उपभेद पैदा कर रहे हैं, जिसकी वजह से वायरस कई रूपों को लेकर लोगों पर हमला कर सकता है। और इतने सारे वेरिएंट के कारण, COVID की तीसरी लहर देश में आ सकती है । यहां समझने वाली बात यह है कि जब COVID की पहली लहर आई तो 10 दिन में वायरस फेफड़ों को मार डालेगा। दूसरी तरंग में यह समयावधि 5 से घटकर 7 दिन रह गई। और कहा जा रहा है कि तीसरी लहर में यह 2 से 3 दिन भी हो सकता है।
आंध्र प्रदेश का वैरिएंट भी ऐसा ही कर रहा है। यह वैरिएंट मरीज को 2 से 3 दिन के भीतर आईसीयू बेड पर पहुंचाता है और फिर मरीज को मार देता है। इतना ही नहीं यह बाकी वेरिएंट की तुलना में 15 गुना ज्यादा संक्रामक है। कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि पहली लहर में वायरस ने बुजुर्गों पर हमला किया, दूसरी लहर में यह युवाओं को ज्यादा प्रभावित कर रहा है और तीसरी लहर में यह बच्चों के लिए खतरनाक हो सकता है।
एक अध्ययन के अनुसार, 18 से कम आयु के बच्चों को वर्तमान में भारत की कुल आबादी का 30 प्रतिशत हिस्सा है । और अभी तक 18 साल से कमाकर बच्चों के लिए कोई टीका शुरू नहीं किया गया है ।इस अध्ययन में यह अनुमान लगाया गया है कि अगर 18 साल से अधिक उम्र के बच्चों को टीका लगाया जाता है तो फिर यह वायरस 18 साल से कम उम्र के बच्चों पर हमला कर देगा । और इससे 6 से 12 साल की उम्र के बच्चों को गंभीर नुकसान भी हो सकता है। इसलिए यहां आपको दो बातों का ध्यान रखना होगा। पहला-यहां तक कि बच्चे भी COVID पॉजिटिव बन सकते हैं और दूसरा अगर तीसरी लहर संभव है तो फिर देश के स्कूल लंबे समय तक बंद रहेंगे ।
हालांकि डॉक्टरों ने इस समस्या का समाधान भी बता दिया है। उन्होंने कहा है कि अगर 18 साल से कम के बच्चों को भी टीके दिए जाते हैं तो भारत तीसरी लहर से लड़ने में सक्षम होगा । लेकिन इसके लिए एक टीके की आवश्यकता होगी, जिसे अभी तक विकसित नहीं किया गया है । सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कहा है कि वह इस साल अक्टूबर तक वैक्सीन विकसित कर लेगा, जबकि कॉवक्सिन के मेकर भारत बायोटेक भी इस पर काम कर रहे हैं और इसका टीका ट्रायल स्टेज में है।अमेरिकी कंपनी फाइजर ने बच्चों के लिए टीके बनाए हैं और कनाडा में इसे 12 साल से ऊपर के बच्चों में इस्तेमाल करने की मंजूरी दी गई है। उम्मीद जताई जा रही है कि अमेरिका में भी इसे जल्द ही मंजूरी मिल जाएगी। इसके अलावा मॉडर्ना कंपनी भी इस पर काम कर रही है।
लेकिन यदि हम भारत के संदर्भ में स्थिति को देखें, तो एक बात स्पष्ट है-भारत में तीसरी लहर तय है जबकि जल्द ही बच्चों के लिए टीके की संभावना बहुत कम है ।भारत में अब तक करीब 16 करोड़ लोगों को टीका लगाया जा चुका है। इनमें से वैक्सीन की पहली डोज लेने वाले लोगों की संख्या करीब 13 करोड़ है और दोनों डोज लेने वालों की संख्या करीब 3 करोड़ है। तदनुसार, देश में लगभग 2 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन की दोनों खुराकें दिलाई गई हैं । जबकि अमेरिका के मुख्य चिकित्सा अधिकारी एंथनी फ़ौसी ने कहा कि देश की कुल आबादी का 85 प्रतिशत कोरोनावायरस को रोकने के लिए टीका लगाया जाना होगा ।
—
Image: अरब न्यूज़ और एएनआई