हाल ही में संध्या थिएटर में हुए हादसे के बाद अभिनेता अल्लू अर्जुन की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। जमानत पर रिहा होने के बावजूद, उन्हें लगातार पुलिस की पूछताछ और जांच का सामना करना पड़ रहा है। अब तो पुलिस इस घटना का रीक्रिएशन भी करना चाहती है, जिससे सवाल उठ रहे हैं कि आखिर क्यों तेलंगाना पुलिस, खासकर मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के नेतृत्व में, अल्लू अर्जुन के प्रति इतनी सख्त रवैया अपना रही है? क्या इसके पीछे कोई व्यक्तिगत बदला है या फिर यह एक सोची-समझी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है?
अक्सर ऐसे मामलों में जमानत मिलने के बाद कानूनी प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है, लेकिन अल्लू अर्जुन के मामले में ऐसा नहीं है। उन्हें न सिर्फ गिरफ्तारी देनी पड़ी, बल्कि जेल में रात भी बितानी पड़ी, पुलिस के सवालों का सामना करना पड़ा और अब क्राइम सीन के रीक्रिएशन के लिए थिएटर भी जाना पड़ सकता है। यह सब तेलंगाना पुलिस द्वारा किया जा रहा है, जिसके मुखिया मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी हैं।
हालांकि, अल्लू अर्जुन के परिवार और रेवंत रेड्डी की राजनीति में काफी अंतर है, लेकिन व्यक्तिगत बदले की संभावना कम ही लगती है। दक्षिण भारत में फिल्मी सितारों के प्रति लोगों की दीवानगी को देखते हुए, इस तरह की सख्ती रेवंत रेड्डी के लिए उल्टा भी पड़ सकती है। फिर भी, इस सख्ती के पीछे एक मजबूत राजनीतिक संदेश छिपा है।
रेवंत रेड्डी अल्लू अर्जुन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करके एक बड़े वोट बैंक को यह संदेश दे रहे हैं कि कानून सबके लिए समान है, चाहे वह अमीर हो या गरीब, आम जनता हो या सेलिब्रिटी। यह कार्रवाई इस बात का प्रतीक है कि कानून अपना काम करेगा, भले ही आरोपी कितना भी बड़ा क्यों न हो। यही वजह है कि पुलिस ने अल्लू अर्जुन को किसी आम आरोपी की तरह थाने बुलाकर पूछताछ की, न कि उनके घर जाकर बयान रिकॉर्ड किया।
यह पहली बार नहीं है जब किसी सेलिब्रिटी की वजह से लोगों को नुकसान हुआ हो, लेकिन इतनी सख्ती शायद पहली बार देखी जा रही है। इसके जरिए रेवंत रेड्डी ने अपने कोर वोट बैंक को यह संदेश दिया है कि ‘पुष्पा’ सिर्फ फिल्मों में ही नहीं झुकता, असल जिंदगी में उसे भी कानून के आगे झुकना पड़ता है। इस प्रकार, अल्लू अर्जुन के खिलाफ पुलिस की सख्ती न सिर्फ कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा है, बल्कि एक शक्तिशाली राजनीतिक संदेश भी है जो रेवंत रेड्डी और उनकी सरकार की छवि को मजबूत करने का काम कर रहा है।
इस पूरे घटनाक्रम को नए दृष्टिकोण से देखने पर यह स्पष्ट होता है कि रेवंत रेड्डी न सिर्फ कानून का पालन करवा रहे हैं, बल्कि इस मौके का इस्तेमाल अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत करने और जनता के बीच अपनी छवि को एक सख्त प्रशासक के रूप में स्थापित करने के लिए भी कर रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस पूरे मामले का अल्लू अर्जुन के करियर और तेलंगाना की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ता है।