भारत ने जिनेवा में कश्मीर पर OIC, तुर्की और पाकिस्तान की निंदा की

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आतंकवाद और अल्प्संक्यक समुदाय को प्रताड़ित करने पर पाक की खरी खरी


भारत ने मंगलवार को जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में तुर्की और इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) की खिंचाई करते हुए सीमा पार आतंकवाद और उसके अल्पसंख्यकों की जातीय सफाई के लिए पाकिस्तान की निंदा की ।

पाकिस्तान, तुर्की और परिषद में ओआईसी द्वारा दिए गए बयानों के जवाब में जिनेवा में भारत के प्रतिनिधि पवन बधे ने भारत के आंतरिक मामलों, विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर पर उनकी टिप्पणियों को खारिज कर दिया, जिसे पिछले साल पुनर्गठित किया गया था और दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया था ।

OIC तय करे क्या उसे पाक के हाथों इस्तेमाल होना है

ओआईसी, तुर्की और पाकिस्तान के अभूतपूर्व निष्कासन में बधे ने कहा, जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है । ओआईसी के पास भारत के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करने के लिए कोई ऐसा अधिकार नहीं है जिसे सुना जाना आवश्यक हो । ओआईसी ने पाकिस्तानि एजेंडे को चलाने में मदद के लिए पाकिस्तान द्वारा खुद को दुरुपयोग करने की अनुमति दी है । यह ओआईसी के सदस्यों के लिए तय करना है कि क्या पाकिस्तान को ऐसा करने की अनुमति देना उनके हित में है ।

तुर्की को सलाह
उन्होंने तुर्की को भारत के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करने से भी परहेज करने की सलाह दी।

कड़े शब्दों का किया प्रयोग
इस्लामाबाद के खिलाफ कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए बधे ने कहा कि पाकिस्तान की यह आदत बन गई है कि वह अपने स्वयं के दुर्भावनापूर्ण उद्देश्यों के लिए झूठे और मनगढ़ंत आख्यान के साथ भारत को बदनाम करे ।

पाक की खोली पोल

उन्होंने कहा, “न तो भारत और न ही अन्य देश एक ऐसे देश से मानवाधिकारों वाले व्याख्यान सुनना चाहिए , जिसने लगातार अपने जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों को सताया है और इनका खत्मा किया है , जो आतंकवाद का केंद्र है, और संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध सूची में व्यक्तियों को पेंशन प्रदान करता है और जिसका प्रधानमंत्री गर्व से जम्मू और कश्मीर में लड़ने के लिए दसियों हजार आतंकवादियों को प्रशिक्षण देने की बात स्वीकार करता है ।

बधे ने दलील दी कि अपनी मज़हबी विचारधारा को पुरे देश में लागू करने के मंसुबे से पाकिस्तान ने यह सुनिश्चित किया है कि जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों का पाकिस्तान में कोई भविस्य नहीं है ,सुनियोजित उत्पीड़न, ईशनिंदा कानून, जबरन धर्मांतरण, लक्षित हत्याओं, सांप्रदायिक हिंसा और विश्वास आधारित भेदभाव पकिस्तान द्वारा वहां की अल्पसंख्यक समुदायों के साथ लगातार जारी है ।

दुनिया को दिखाई पीओके की असलियत

उन्होंने बताया, हजारों सिख, हिंदू और ईसाई अल्पसंख्यक महिलाएं और लड़कियां पाकिस्तान में अपहरण, जबरन विवाह और धर्मांतरण का शिकार हुई हैं ।

बधे ने कहा पीओके (pok) की दुर्दशा ये है की बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा और सिंध में ऐसा एक दिन भी नहीं गुजरता जब उनके किसी न किसी परिजन की उठा लिया जाता हो और वो भी पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा ही ।

भारतीय प्रतिनिधि ने परिषद को बताया, “एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब बलूचिस्तान में एक परिवार को पाकिस्तान के सुरक्षा बलों द्वारा अपने सदस्यों को उठाया या अगवा नहीं किया गया हो ।

पत्रकारों की हत्या और मानवाधिकर का असल उल्लंघन

“पाकिस्तान में हो रहे पत्रकरों हत्या और उनके कातिलो का खुला घूमना इस बात का खुलासा करता है की स्टेट मशीनरी की मंजूरी से ही ये सब होता है। इसी वजह से बहोत सारे अंतर्राष्ट्रीय संगठनो ने पाकिस्तान को मानवाधिकार संगठनों से जुड़े लोगों की हत्या और किडनैपिंग को लेकर चिन्हित किया है। “

बधे ने अंत में कहा , “पाकिस्तान उन मुद्दों को उठाने के लिए विभिन्न HRC (Human Resources Committee) तंत्रों और प्लेटफार्मों का दुरुपयोग कर रहा है, जो HRC के अधिकार से बाहर हैं और जो भारत के आंतरिक मामलों से संबंधित हैं, पाकिस्तान ऐसा इसलिए करता है ताकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान पाकिस्तान द्वारा अपने ही लोगों के खिलाफ किए गए गंभीर मानवाधिकारों के उल्लंघन की तरफ ना जाए और HRC को भटकाया जा सके ।

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